देखते ही गोली मारने का आदेश, हिंसा की आग में झुलस रहा मणिपुर, आर्मी ने संभाला मोर्चा
भारत: 3 दिनों से मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की आग में झुलस रहा है ।मणिपुर की सरकार ने ऐसी परिस्थिति में हिंसा करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश तक दे दिया है । तो आपके जानकारी के लिए बता दूं कि 3 मई को मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद से पूरा राज्य हिंसा की आग में जल रहा है।
खबरों के मुताबिक पिछले दो दिनों में भीड़ ने प्रदेश के गांवों पर हमला किया, घरों में आग लगा दी, दुकानों में तोड़फोड़ की ।माता-पिता इतने डरे हुए थे कि उन्होंने बच्चों को नींद की दवाइयां दे दीं ताकि वे रोएं नहीं ।इसी से आपलोग अंदाजा लगा सकते हैं कि वहां के हालात कितने खराब हो चुके हैं।वहां रहने वालों लोगों में इतना खौफ है कि आने वाले दिनों में हमले और बढ़ेंगे और खून-खराबा ओर भी ज्यादा हो सकता है।
वहीं बुधवार से पूरे राज्य में मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं को तत्काल प्रभाव से पांच दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।तो वहीं राज्य के कई जिलों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। सोशल मीडिया पर इस हिंसा को लेकर कई तस्वीरें और वीडियो भी शेयर किए गए हैं ।वीडियो और फोटो में साफ तौर पर कई घरों को आग में जलता हुआ देखा गया है।
हिंसा की वजह मणिपुर हाई कोर्ट का एक आदेश
खबरों के अनुसार इस पूरी हिंसा की वजह मणिपुर हाई कोर्ट का एक आदेश था। इस आदेश में हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि वह 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करे जिसमें गैर-जनजाति मैतेई समुदाय को जनजाति में शामिल करने की बात कही गई थी।3 मई को हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद इंफाल घाटी में बसे मैतेई और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी। मैतेई मणिपुर में प्रमुख जातीय समूह है और कुकी सबसे बड़ी जनजातियों में से एक है।
वर्षों से चली आ रही है दुश्मनी दोनों समुदाय के बीच
बता दूं कि मणिपुर राज्य में कुल 16 जिले हैं ।राज्य की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के तौर पर बंटी हुई है। इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं ।मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।तो दूसरी तरफ पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है. अभी जो हिंसा देखी जा रही है वो सबसे ज्यादा हिंसा चुराचांदपुर पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई। यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नागा ईसाई हैं। यहां पर चार पहाड़ी जिलों में कुकी जाति का प्रभुत्व है ।
मैतेई समुदाय के लोग 53 फीसदी
आपको पता होगा कि मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है ।इसमें मैतेई समुदाय के लोग लगभग 53 फीसद हैं ।मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा इन्हीं लोगों के कब्जे में हैं ।ये लोग मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसे हुए हैं ।कुकी जातीय समुह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही है।तो वहीं कुकी जातीय समुह में कई जनजातियाँ शामिल हैं। मणिपुर में मुख्य रूप से पहाड़ियों में रहने वाली विभिन्न कुकी जनजातियाँ वर्तमान में राज्य की कुल आबादी का 30 फीसद हैं।कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करती आई है। इन जनजातियों का कहना है कि अगर मैती समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे। कुकी जनजातियों का ऐसा मानना है कि आरक्षण मिलते ही मैतेई लोग अधिकांश आरक्षण को अपने हिस्से में ले लेंगे।
आपके जानकारी के लिए बता दूं कि अनुसूचित जनजाति मांग समिति मणिपुर बीते 10 सालों से राज्य सरकार से आरक्षण की मांग कर रहा है । किसी भी सरकार ने इस मांग को लेकर इसपर अबतक कोई भी फैसला नहीं सुनाया । आखिरकार मैतेई जनजाति कमेटी ने कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने इस मांग को लेकर राज्य सरकार से केंद्र से सिफारिश करने की बात कही है ।इस सिफारिश के बाद ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने विरोध जताना शुरू कर दिया ।जिसकी वजह से आज मणिपुर हिंसा की आग में जलता जा रहा है।
आखिर हमारे देश में क्या होते जा रहा है कभी इधर हिंसा ,कभी उधर मतलब जब जब चुनाव का वक़्त आता है तो हर तरफ से सिर्फ हिंसा की खबर सुनने को मिलती है ।
हमलोग को आपस में लड़ने से कुछ नहीं होगा, होगा तो सिर्फ बर्बादी ।